ધનાશ્રી પંડિત
क्या मजा बार बार मिलता है
अजी तुमको हमसे रूठ जाने में
रूठने में लगे दो घडिया
उम्र लग जाती है मनानेमे .........
हमरी अटरिया पे आ जरे सावरिया
देखादेखी बालम (तनिक) हुई जावे......
नैन मिल गई है नजर में जई हो
सारा ज़ग्डा ख़तम हुई जावे......
प्रेम की भिक्षा मागे भिखारन
हमरे द्वारे आओ सजन ....
.नैन मिल गई है नजर में जई हो
सारा ज़ग्डा ख़तम हुई जावे.....
तसवुर (स्वप्न??)में चले आते हो...
कुछ बाते भी होती है ....
शबे फुर्सत भी होती है ....मुलाकाते भी होती है.....
आओ बालम हमरे द्वारे ....